इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसनों को आर्थिक रूप से संबल बनाना है। इस योजना से ज्यादातर छोटे किसान लाभान्वित होने वाले हैं। इससे उन्हें खेती बाड़ी में आर्थिक समस्याओं का सामना करने में बल मिलेगा। इस योजना के माध्यम से मिलने वाली राशि से किसान भाई कृषि कार्य के लिए जरूरी उपकरण, खाद, बीज और कीटनाशक खरीद पाएंगे।
केंद्र सरकार के साथ-साथ झारखंड की राज्य सरकार भी किसानों की आय को बढ़ाने का प्रयत्न कर रही है। जिसके लिए मुख्यमंत्री के द्वारा समय-समय पर कई योजनाएं लॉन्च की जाती हैं। यह योजना भी उसी उद्देश्य के साथ लागू की गई है। इस सहायता राशि से किसान आगामी फसलों की बुवाई आसानी से कर पाएंगे, जिससे भविष्य में उन्हें अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है। अच्छा उत्पादन प्राप्त होने पर किसान अपने परिवार का भरण पोषण भी बेहद आसानी से कर पाएंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए झारखंड के मूल निवासी (जिनके पास कृषि भूमि 5 एकड़ से कम है) ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत आगामी खरीफ फसल की बुवाई के पहले किसान को उनके बैंक खाते में सहायता राशि उपलब्ध कारवाई जाएगी, ताकि किसान भाई आसानी से खरीफ फसल की बुवाई कर सकें।
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इस योजना के अलावा झारखंड के किसान केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से हर किसान को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रखी हैं, जिनका फायदा उठाकर किसान भाई कृषि क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से किसानों का उत्पादन बढ़ा है और उनकी आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है।
इन यंत्रों की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा
मध्य प्रदेश सरकार ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि ऊपकरणों एवं मशीनों की खरीद पर 30 से 50 प्रतिशत तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। इससे कृषकों को श्रू मास्टर, मल्चर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, सुपर सीडर, क्रॉप रीपर, हैप्पी सीडर और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर की खरीद करने पर 40 से 60 हजार रुपये का अनुदान मुहैय्या करा रही है। साथ ही, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुदान की घोषणा करने पर किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसान भाइयों को यह उम्मीद जताई है, कि इन यंत्रों की सहायता से खेती करने पर अच्छी उपज मिल सकेगी।
जितने भी विकसित देश हैं सब मशीनों के सहयोग से खेती करते हैं
आज की तारीख में जितने भी विकसित देश हैं, वहां यंत्रों एवं मशीनों की सहायता से खेती-किसानी की जा रही है। रूस, अमेरिका और कनाड़ा समेत बहुत सारे विकसित देशों में किसान अकेले ही यंत्र की सहायता से सैंकड़ों एकड़ में उत्पादन कर रहे हैं। अगर भारत में समस्त किसानों के पास कृषि यंत्र की उपलब्धता हो जाए, तब यहां के कृषक भी पश्चिमी देशों के किसानों की भाँति बेहतरीन ढंग से खेती कर सकेंगे। बतादें, कि मध्य प्रदेश के अतिरिक्त दूसरे प्रदेश भी कृषि यंत्रों की खरीद पर वक्त-वक्त पर अनुदान मुहैय्या करा देते हैं।
साथ ही, विगत फरवरी माह में पंजाब सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद करने पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की थी। जनरल कैटेगरी में आने वाले किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान धनराशि प्रदान की जा रही थी। साथ ही, बाकी श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान था।
बिहार में आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। अब कृषि विभाग ने ऐलान किया है, कि राज्य में जैविक खेती करने वाले कृषकों की आर्थिक मदद करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। आर्गेनिक खेती से भी किसान को सहायता मिलेगी। इससे जहां पैदावार में वृद्धि आएगी। वहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।
6500 रुपये प्रति एकड़ तक अनुदान मुहैय्या किया जाएगा
बिहार के कृषि विभाग का कहना है, कि जैविक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों की सहायता की जा रही है। इसके अंतर्गत आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। यह धनराशि 2.5 एकड़ तक के कृषकों के लिए है। यूँ समझ लिजिए कि अगर किसान 5 या 10 एकड़ भी खेती करते हैं, तो उनको केवल 2.5 एकड़ के लिए ही सहायता प्रदान की जाएगी। किसान को 16 हजार 250 रुपये प्रोत्साहन धनराशि के तौर पर मुहैय्या कराए जाएंगे। किसी भी प्रकार की मन में शंका है, तो टॉल फ्री नंबर 1800-180- 1551 पर भी कॉल कर सहायता ली जा सकती है।
आर्गेनिक खेती करने से क्या क्या फायदे होते हैं
भारत के अंदर प्राचीन समय से ही जैविक खेती ही की जाती थी। परंतु, ज्यादा उत्पादन एवं अतिशीघ्र फसल की चाहना में अंधाधुंध रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेतों में उर्वरकों के रूप में गाय एवं मवेशियों के गोबर का इस्तेमाल होता था। इससे पैदावार काफी अच्छे स्तर से बढ़ती थी। भूमि की उर्वरकता भी काफी बेहतर रहती है। केंद्र और राज्य सरकार का यही प्रयास रहा है, कि किसान खेती की उसी प्राचीन परंपरा को पुनः सुचारू करें।